क्या आप जानते हैं कि इस तिरंगे में भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं। जी हां, कई बदलावों के बाद भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा बन गया है।
भारत ने आजादी के 75 साल पूरे कर लिए हैं। भारत ने आजादी के बाद से कई बदलाव देखे हैं और इस आजादी को हासिल करने के लिए काफी संघर्ष किया है। आज जब भी खुले आसमान में हमारा तिरंगा फहराया जाता है तो मन बहुत उत्तेजित हो जाता है,
पहला झंडा- आपको बता दें कि पहला झंडा 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता के पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था। झंडे में लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज धारियां थीं।
दूसरा झंडा- वर्ष 1907 में मैडम कामा और कुछ क्रांतिकारियों ने पेरिस में दूसरा झंडा फहराया। यह पिछले झंडे जैसा ही था। हालांकि, इसके शीर्ष बैंड पर केवल एक कमल था
तीसरा झंडा- तीसरा झंडा साल 1917 में आया था। होमरूल आंदोलन के दौरान डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने हाथ हिलाया। इसमें 5 लाल और 4 हरी धारियां और सात तारे थे। बाएं और ऊपरी किनारे पर (स्तंभ की ओर) यूनियन जैक था।
चौथा झंडा – इस झंडे की कहानी यह है कि आंध्र प्रदेश के एक युवक ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान झंडा बनाकर गांधी जी को दिया था। यह कार्यक्रम वर्ष 1921 में बेजवाड़ा (वर्तमान विजयवाड़ा) में आयोजित किया गया था। यह दो रंगों से बना था।
पाँचवाँ झंडा- इसके बाद पाँचवाँ झंडा था जो वर्तमान ध्वज से थोड़ा अलग था। इसमें पहिए की जगह पहिए थे। ध्वज के इतिहास में वर्ष 1931 एक यादगार वर्ष है।
आज का तिरंगा – इसे संविधान सभा द्वारा 22 जुलाई 1947 को स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था। यह आज का तिरंगा और भारत का राष्ट्रीय ध्वज है।