बांग्लादेश में एक उच्च न्यायालय की पीठ ने 2004 के चटगाँव हथियार तस्करी मामले में पूर्व मंत्री लुत्फोज्जमां बाबर और पाँच अन्य को आरोपों से मुक्त कर दिया है। प्रोथोम एलो के अनुसार, अदालत ने प्रतिबंधित उग्रवादी समूह उल्फा के नेता परेश बरुआ की मौत की सज़ा को भी घटाकर आजीवन कारावास में बदल दिया है।
यह मामला 2004 में 10 ट्रक भरकर हथियार और गोला-बारूद जब्त करने से जुड़ा है, जिसका इस्तेमाल भारत को निशाना बनाने वाले आतंकवादी समूहों द्वारा किया जाना था। ये हथियार बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी की सरकार के दौरान जब्त किए गए थे। उस समय गृह राज्य मंत्री रहे लुत्फोज्जमां बाबर के हथियार तस्करी अभियान से जुड़े होने के सबूत मिले थे।
सजा में बदलाव?
लुत्फोज्जमान बाबर 2001 से 2006 तक बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के सदस्य के रूप में खालिदा जिया सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे। इस दौरान सरकार ने प्रतिबंधित आतंकवादी समूह उल्फा के नेता परेश बरुआ को बांग्लादेश में शरण भी दी।
ढाका के प्रोथोम अलो अखबार के अनुसार, बरुआ उन छह व्यक्तियों में से एक है जिनकी मौत की सजा कम कर दी गई है। उसकी सजा को घटाकर आजीवन कारावास कर दिया गया है, जबकि अन्य पांच दोषियों को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है।
हसीना के बाद बांग्लादेश में बदलाव
शेख हसीना के नेतृत्व वाली आवामी लीग सरकार ने बांग्लादेश में भारत विरोधी ताकतों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। हालाँकि, हाल ही में लुत्फोज्जमान बाबर और पाँच अन्य को बरी किए जाने के साथ-साथ परेश बरुआ की मौत की सज़ा को कम किए जाने की घटना ऐसे समय में हुई है जब हसीना के जाने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली कार्यवाहक सरकार ने ढाका में सत्ता संभाली है। यह नया प्रशासन भारत के प्रति विशेष रूप से अनुकूल नहीं रहा है