Sunday, September 8, 2024
Hindi News » दुनिया » एक ही हफ्ते में क्यों हो रहे है ईरान में दोबारा चुनाव, समझिए

एक ही हफ्ते में क्यों हो रहे है ईरान में दोबारा चुनाव, समझिए

Iran Presidential Election: ईरान में 28 जून को हुए मतदान में किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत वोट नहीं मिले। इसके बाद, देश में 5 जुलाई को दूसरे चरण के चुनाव होंगे।

ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में इस बार वोटिंग प्रतिशत में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है। 28 जून को हुए मतदान में चारों उम्मीदवारों में से कोई भी 50 प्रतिशत का आंकड़ा पार नहीं कर पाया है। मतदान में कुल 40 प्रतिशत यानी 61 मिलियन लोगों ने वोट किया। इस चुनाव में 1979 की क्रांति के बाद से सबसे कम मतदान हुआ है।

इस चुनाव में सुधारवादी उम्मीदवार मसूद पेजेशकियन को सबसे ज्यादा यानी 10.41 मिलियन और रूढ़िवादी सईद जलाली को 9.47 मिलियन वोट मिले। लेकिन दोनों में से कोई भी 50 प्रतिशत वोट के आंकड़े को नहीं छू सका। जिसके बाद 5 जुलाई को दोनों उम्मीदवारों के बीच रन-ऑफ होगा।

- Advertisement -

देश के 14वें राष्ट्रपति बनने के लिए 4 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें से शीर्ष दो के बीच रन-ऑफ में मुकाबला होगा। ईरान में अगर किसी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से कम वोट मिलते हैं तो चुनाव का दूसरा चरण होता है। दूसरे चरण में जो सबसे अधिक वोट प्राप्त करेगा, वह ईरान का अगला राष्ट्रपति बनेगा।

रनऑफ से पहले, उम्मीदवारों के बीच बहस

5 जुलाई को होने वाले आगामी रन-ऑफ चुनाव से पहले, ईरानी समाचार चैनल पर मसूद पेजेशकियन और सईद जलाली के बीच गरमागरम बहस हुई। दोनों उम्मीदवारों ने एक-दूसरे की विदेश नीति की साख को निशाना बनाया, जिसका उद्देश्य जनता को राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उपयुक्तता के बारे में समझाना था।

पेजेशकियन ने जलाली से सवाल करते हुए पूछा, “क्या आप एक ऐसी कंपनी का नाम बता सकते हैं, जिसे आपने सफलतापूर्वक देश चलाने में कामयाब बनाया हो?” जवाब में, जलाली ने चेतावनी दी कि पेजेशकियन के राष्ट्रपति बनने से ईरान की विदेश नीति कमज़ोर हो सकती है और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ को रियायतें मिल सकती हैं।

ईरान के चुनावी इतिहास को याद करें तो 2005 के राष्ट्रपति चुनाव में भी ऐसी ही परिस्थितियाँ पैदा हुई थीं, जब किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज़्यादा वोट नहीं मिले थे, इसलिए रन-ऑफ ज़रूरी हो गया था। उस साल, महमूद अहमदीनेजाद विजयी हुए थे। अब, सभी की नज़रें आने वाले रन-ऑफ पर टिकी हैं, ताकि यह तय हो सके कि पेजेशकियन या जलाली राष्ट्रपति पद जीतेंगे या नहीं।

- Advertisement -

लेटेस्ट

- Advertisment -

सम्बंधित ख़बरें